आओ सुनो, . किस्से नेताओं के कारनामों के, अनचाहे वोटों के, किस्से राष्ट्र के हुजूरो के, टूटी हुई सरकारों के , लूटी गई जनता के, अंधविश्वासों की वकालत करने वाले, धर्म के ठेकेदारों के, . समाज की मर्यादा को जो लूट गए, उन लूटरों के, बेटियों की रूह को नोच खा गए, उन जालिम दांरिदो के गुनाहों के, इतिहास को बदल गए , संविधान के उन कानूनों की, समाज को जो आईना दिखा गई, उन नायिकाओं के जस्बो के, रिश्ते को तोड़ गए जो, उन उसूलों के, वक्त की अनचाही भूलो के, किस्मत के मारे लाचार किसानों के, बुजुर्गों के दर्द के, जालिम मर्दो के, धूल में जो मिल गए , सभ्यता के उन उसूलों के, एक होकर भी एक नहीं जो, उन जातियों के, किस्से कुछ अक्ल के कच्चो के, परिवार को जो भूल गए उन बच्चों के।
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