मेरी बडी बहन

कुछ अटपटी दास्ताँ हैं,
मेरी बडी बहन की,
थोड़ी शरारत से भरी,
दिखती हैं परी ,
बिन पंखों उड़ती हैं,
समझो यह एक पहेली हैं,
चंचल हैं पर भोली हैं,
 जो बात-बात मे आँखों से चलाये गोली,
चाहत के रंगों से खेले होली,
पर थोड़ी हैं बड़बोली,
आँखें हैं उसका दर्पण,
 प्रेम पर ही उसका समर्पण,
बिखेरती हैं चाहत के रंग,
जिदंगी जीने का आता उसे यही ढंग,
हैं बडी क्यूट पर उडे थोड़े से उसके फ्यूज,
दुश्मन को भी दोस्त वो माने,
आपने परायो मे फर्क न जाने,
दुनिया जमाने के रंग न पहिचाने,
मेरी बात कभी न माने,
पर मेरी मोहब्बत को वो जाने,
जिदंगी के असल मायने उसी ने जाने,
दिखती हैं सयानी,
अरिजीत के गानों की दीवानी,
ढोकले मे अटकी उसकी जान,
उसे नहीं सही गलत की पहचान,
बिन बोले उसकी हर बात समझ जाऊ,
पर ये बात उसे कैसे समझाऊ,
मुस्कुराहट से अपनी पत्थर भी पिघला दे,
दिलो मे जली नफरत की आग बुझा दे,
 चाट सी चटपटी उसकी बातें,
मीठी ज्यादा तीखी कम,
सावन के झूलो  सी झूलती हैं
, मुसीबतों से भी लूडो खेलती हैं,
टुटे सपनों को सजोकर राह बनती हैं,
बस उसकी यही बात मुझे भाती हैं,
कुदती फिरती हैं गिलहरी सी,
मेरी बहन हैं अमीर खुसरो की पहेली सी,
ओस की बूंदों सी उडती हैं,
अपने ख्वाबों को कुर्ती मे सिलती हैं।

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